Case Study SG # 11
Marriage when?
Father of
this female native asked for her marriage probability.
The birth details are as
follows: 19 Dec 1987; 06-45 AM; Dehradun; 30N25; 77E56.
In the chart 7th
sub is Jupiter.
This was judged on 9 June 2016; 17-19 PM; Thane and RP were as
follows: L=Mars; S= Mercury; R= Moon; D= Jupiter.
Jupiter is in RP hence it is
conformed and signifies as follows: (bracketed figures are strong significators)
PLANET : JUPITER
Itself
:-------------- Jupiter:- 4 2 4
It's N.Swami
:-------- Mercury:- (1) (8) (10) Sun-Yuti
(1) 9 Saturn-Yuti
(1) 3
It's Sub
:------------ Jupiter:- 4 2 4
It's Sub's
N.Swami :-- Mercury:- (1) (8) (10) Sun-Yuti
(1) 9 Saturn-Yuti
(1) 3
Jupiter
signifies 8th house which is supportive house for marriage indicates
marriage probability.
She was under Ketu/Moon period April 2016 to Sept 2017
which signifies as follows:
PLANET : KETU
Itself
:-------------- Ketu:- 9
Rashi-Swami Mercury 1 8 10 Saturn-Drusht
1 3
It's N.Swami
:-------- Sun:- (1) 9 Mercury-Yuti (1)
(8) (10) Saturn-Yuti (1) 3
It's Sub
:------------ Saturn:- 1 3 Cusp Yuti: (1) Mercury-Yuti 1 8
10 Sun-Yuti 1 9
It's Sub's
N.Swami :-- Ketu:- (9) Rashi-Swami
Mercury (1) (8) (10) Saturn-Drusht
(1) 3
Ketu
signifies 8th house.
PLANET : MOON
Itself
:-------------- Moon:- (12)
It's N.Swami
:-------- Saturn:- (1) 3 Cusp Yuti: (1) Mercury-Yuti (1)
(8) (10) Sun-Yuti (1) 9
It's Sub
:------------ Venus:- (2) (6) (7)
11 Cusp Yuti: (2)
It's Sub's
N.Swami :-- Sun:- (1) 9 Mercury-Yuti (1)
(8) (10) Saturn-Yuti (1) 3
Moon
signifies 2-7-8 houses indicate that the marriage will be during this bhukti.
In the chart Mars is the only significator in this chart as follows:
PLANET :
MARS
Itself
:-------------- Mars:- (11) 1 (5)
12
It's N.Swami
:-------- Jupiter:- (4) 2 4
It's Sub
:------------ Saturn:- 1 3 Cusp Yuti: (1) Mercury-Yuti 1 8
10 Sun-Yuti 1 9
It's Sub's
N.Swami :-- Ketu:- (9) Rashi-Swami
Mercury (1) (8) (10) Saturn-Drusht
(1) 3
Mars
signifies 11-5-8 houses and the period is from 3 Oct to 15 Oct 2016. So marriage
will be celebrated during this period.
But due to fixed sign ascendant I
selected Jupiter antara as it is cuspal sub lord and period is during Nov-Dec
2016.
So I predicted that she will get married during Oct-Dec 2016.
Father also
asked about caste of the partner. 7th sub is indicating same caste
so I predicted that she will get married with same caste partner.
Recently her
father intimated me that his daughter got married on 6th Oct 2016
but her partner is from other caste.
In the chart Saturn is in star of Ketu
indicate inter caste marriage,
hence I re checked RP and found that Jupiter is
aspected by Saturn and thus included in RP and Saturn given her inter caste
marriage.
Your comments are welcome!!!
दिनांक २६-१२-२०१६ प्रातः ७-३० स्थान ग्वालियर –
ReplyDeleteकृष्ण मूर्थी पद्धति विद्वानों के समक्ष वहस के लिए एक खुला प्रश्न ?
विषय –१.रूलिंग प्लेनेट में सूर्य के सब लार्ड या सब-सब लार्ड को क्यों नही लिया गया ?
२. दिन के स्वामी के स्थान पर क्यों न सूर्य के सब लार्ड एवं सब-सब लोर को सम्मिलित किया जाये ?
स्व. कृष्ण मूर्थी पद्धति में रूलिंग प्लेनेट का अपना ही एक महत्व सिद्ध हुआ है जिसके जनक स्व. कृष्ण मूर्थी ही थे | उनके समय में सिर्फ ५ ही रूलिंग प्लेनेट की वकालत की गई थी | इन रूलिंग प्लेनेट को ज्योतिर्विद द्वारा निर्णय काल, निर्णय स्थान एवं दिन के आधार पर किसी प्रश्न को हल करने से पूर्व बनाये जाने के निर्देश दिए हैं और उसके बाद ही प्रश्न लग्न या जन्म लग्न (जिस विधि द्वारा ज्योतिर्विद निर्णय कर रहा हो) के निर्माण एवं निर्धारन आदि के निर्देश हैं |
रूलिंग प्लेनेट का क्रम -
१. दिन का स्वामी
२.लग्न का नक्षत्र स्वामी |
३.लग्न का स्वामी |
४.चन्द्र राशि का नक्षत्र स्वामी |
५. चन्द्र राशि का स्वामी |
इनकी स्ट्रेंथ उतरोत्तर ताकतवर होती है अर्थात दिन का स्वामी कमजोर कार्येष /सूचक रूलिंग प्लेनेट होगा |
उनके द्वारा अन्वेषण से यह प्रमाणित हुआ था कि निर्णय दिन, समय, आदि के जो रूलिंग प्लेनेट होते हैं उनका सीधा सीधा एवं गहरा प्रासंगिक घटना काल से सम्बन्ध होता है | और यह अवधारणा वर्तमान में भी विभिन्न ज्योतिर्विदों द्वारा सिद्ध होती देखी गई है और हो रही है |
१. यह सभी जानते हैं कि किसी घटना के काल का सूक्ष्म निर्धारण चन्द्र एवं लग्न के गोचर से ही होता है जो दशा कालिक ग्रहों के गोचर में अहम भूमिका निभाते हैं | चन्द्र लगभग १ राशि में २४ घंटे रहता है जबकि लग्न २ घंटे में बदल जाती है अर्थात लग्न की गति सबसे तेज है | यही कारण स्पस्ट है कि उनके द्वारा चन्द्र और लग्न से ही रूलिंग प्लेनेट लिए गए |
२. अब बात दिन की करते हैं जो २४ घंटे में बदलता है | यानी एक सूर्य उदय से लेकर दूसरे सूर्य उदय तक ( ज्योतिषीय दृष्टिकोण से )| यही भी सब जानते हैं और मनीषियों का मत है कि सूर्य के बिना भी कोई घटना नही होती |मतलब घटना के अति सूक्ष्म काल निर्धारण में, सूर्य -चन्द्र -लग्न का गोचर अहम् भूमिका निभाता है | अर्थात घटना काल में सूर्य भी किसी सब एवं सब-सब में गोचर कर रहा होगा | तब रूलिंग प्लेनेट में सूर्य के सब-सब लार्ड या सब लार्ड के स्वामी को रूलिंग प्लेनेट में क्यों नही संम्मिलित किया गया है ? या किया जाना चाहिए ? जबकि इसके विपरीत वर्तमान में पूर्व सिद्धांत में तब्दीली कर लग्न एवं चन्द्र के सब लार्ड एवं सब-सब लार्ड को भी सामिल किया जारहा है |
एक विद्वान ज्योतिर्विद श्री टी.राजेंद्र द्वारा लिखित एक शोध लेख टाय्म्स ऑफ़ एस्ट्रोलोजी पत्रिका के जन.2000 अंक पेज ६५ पर प्रकाशित हुआ था | जिसमें उनके द्वारा यह सिद्ध किया है कि लगभग ३०० केस की स्टडी में लग्न के सब लार्ड को अधिक ताकतवर पाया गया है और १०० केस में लग्न के सब-सब लार्ड को और १०० केस में सिर्फ ५ स्तर तक रूलिंग प्लेनेट की भूमिका ही रही है |
अर्थात ३०० केस में लग्न के सब लार्ड की अधिक भूमिका रही| इसका अर्थ यह हुआ कि रूलिंग प्लेनेट में लग्न के सब लार्ड को लिया जाना उचित ही नही पूर्व के ५ ग्रहों की अवधारणा में संशोधन आवश्यक हुआ | लग्न का सब लार्ड जो शुक्र –राहू –जुपिटर –शनि का सबसे बड़ा होता है और सबसे छोटा सूर्य का | दूसरे शब्दों में सूर्य के सबलार्ड में सूर्य का सब-सब लगभग २ कला का होता है और शुक्र के सब में सब-सब २२.२ कला का होता है जो घड़ी के समय से ८ मिनट से ८ सेकेंड्स में बनता है | जब ८ मिनट में शुक्र का सब-सब बदल जाता है तो निश्चित ही सूर्य का भी बदलेगा जो मात्र ८ सेकंड्स का ही है | तब क्या यह आवश्यक नही होगा कि हम सूर्य के सब-सब लार्ड एवं सब लार्ड को क्यों न रूलिंग प्लेनेट में सामिल करें वनस्पति दिन के स्वामी के जो २४ घंटे रहता है?
उक्त विषय पर कृष्ण मूर्थी पद्धति के मूर्धन्य ज्योतिर्विदों के विचार आमंत्रित हैं |
Sunil ji kindly comments
ReplyDeleteDear Ram Prakash Ojha,
ReplyDeleteRuling Planets are called as divine help and I found that it doesn't help to each and every KP astrologer at each and every time hence in my theory I am avoiding to take help of RP while predicting events. But I apply it only to confirm relevant cuspal sub lord. It is also used to rectify the birth time. But in that case I choose 4 RP or max 5. KSK has advised us to research and hence anyone can use his own method. In my opinion applying Sun's sub or sub-sub is depends on astrologer to astrologer. Every one can apply it or not.Thanks
Respected Sunil Sir, first do accept my soulful humble pranams... Me just a novice to KP astrology... so ultimately full of doubts... my very humble request to you to shed your esteemed KP expertise and get my queries clarified only when you feel you can allot some valuable time. In the above example ( case study ) albeit your KP marriage prediction is from same caste but the ultimate result is of intercaste and the planets responsible were Saturn and Ketu... now my 1st query,
ReplyDelete1) Of these two planets who is the ultimate giver of intercaste marriage at all times Saturn or Ketu ?
2) Assuming Saturn is in some other planet's star say Mercury and if this Mercury in turn linked to Rahu or Ketu by placement in the star of Rahu or Ketu then what marriage type one can expect ?
3)How one can decide in KP on whether the marriage is between same caste or intercaste... I mean by what rule or by what cusp or by what planet ?